Top Web Series Actor: वर्ष 2020 में अभिनय की दुनिया में पंकज त्रिपाठी, प्रतीक गांधी, दिव्येन्दु शर्मा, जयदीप अहलावत, सुष्मिता सेन, मीता वशिष्ठ, स्वास्तिका मुखर्जी, गीतिका विद्या ओहल्यान और कृति खरबंदा ने अपने उत्क़ृष्ट अभिनय की छाप छोड़ी है। कीर्ति कुलहरि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर महत्वपूर्ण तरीके से उभर कर सामने आई हैं और ‘क्रिमलन जस्टिस 2’ में उनका अभिनय आला दर्जे का है। पेश है इन कलाकारों के उत्कृष्ट अभिनय की एक झलक।
पंकज त्रिपाठी
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पंकज त्रिपाठी सिनेमा का एक बड़ा नाम हैं। लेकिन पंकज ने 2020 में डिजिटल साम्राज्य पर ऐसे शासन किया जैसे वह उनका ही हो। ‘मिर्जापुर 2’ और ‘क्रिमनल जस्टिस 2’ के साथ पंकज ओटीटी के सुपर स्टारों में से एक हो गए हैं। हालांकि ‘लूडो’ और ‘गुंजन सक्सेना’ में उनके उम्दा अभिनय का जिक्र नहीं हुआ है। वह यह स्वीकार करते हैं कि सिनेमा से उन्हें उतना पैसा नहीं मिला जितना उन्हें ओटीटी से हासिल हुआ है।
प्रतीक गांधी
गुजराती सिनेमा और थियेटर में प्रतीक गांधी एक जाना-पहचाना नाम हैं। लेकिन हंसल मेहता की ‘स्कैम 1992’ में हर्षद मेहता की भूमिका निभाते हुए उन्होंने हिंदी सिनेमा में कदम रखा। इस किरदार में उनके अभिनय ने जबरदस्त प्रभाव डाला। ऐसा क्या था कि वह हर घर में एक जाना-माना नाम बन गए? प्रतीक ने स्टार बनने की कोशिश नहीं की थी। उन्होंने एक चरित्र निभाया था। और वह उसी चरित्र में बने रहे। असल में, हिंदी सिनेमा के लिए वह एक अनजान चेहरा थे और हर्षद मेहता के किरदार के रूप में उन्हें इसका तुरंत बहुत लाभ मिला। वह एक ही झटके में लोकप्रिय हो गए।
दिव्येन्दु शर्मा
‘मिर्जापुर 2’ में मुन्ना भैया से लेकर ‘बिच्छू का खेल’ में अखिल श्रीवास्तव के किरदारों में दिव्येन्दु शर्मा को कोविड के संकट से भरे हुए वर्ष 2020 में स्टारडम मिला। पिछले वर्ष तक वह बॉलीवुड के हर सुपरस्टार के पसंदीदा प्रिय मित्र थे। शुक्र है कि दिव्येन्दु एक और राजपाल यादव बनकर नहीं रह गए। इसके लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मिलने वाली आजादी का शुक्रिया है।
जयदीप अहलावत
‘पाताल लोक’ में जयदीप ने हाथीराम चौधरी नाम के एक पुलिस वाले का किरदार निभाया है। इस प्रतिभाशाली कलाकार के साथ यह सबसे अच्छी बात हुई। जयदीप यकायक ओटीटी के सबसे प्रिय बन गए हैं। वह कहते हैं, “यह एक नया ऑडियो- विजुअल माध्यम है जो आपको पूरी सक्षमता के साथ एक अति व्यापक मंच पर कहानी सुनाने की स्वतंत्रता देता है जो किसी देश तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक पहुंच रखता है। इसके माध्यम से आप अपने काम को वैश्विक दर्शकों-श्रोताओं तक पहुंचा सकते हैं और दुनिया भर के काम को भी देख सकते हैं। जब आप इस तरह का काम देखते हैं तो यह आपके क्षितिज को व्यापक करने में मदद करता है। एक कलाकार के रूप में आपको एक बेहतर नजरिया और परिप्रेक्ष्य मिलता है। आपके सामने यह चुनौती बन जाती है कि आप नई-नई चीजों को अपनाएं। इस माध्यम में अपार अवसर हैं। इसकी अभूतपूर्व पहुंच के अलावा आप उस खास तरह की विषय-वस्तु को दिखा सकते हैं जिसे वर्तमान भारतीय सेंसरशिप कानूनों के तहत नहीं दिखाया जा सकता।” वह आगे कहते हैं, “निसंदेह, वेब पर विषय-वस्तु विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकत है, जैसे- 13 प्लस, 16 प्लस या 18 प्लस, यह अलग-अलग तरह के दर्शकों की उपयुक्तता पर निर्भर करता है लेकिन यह स्वनिर्णयगत है। अच्छी बात यह है कि आपके पास खास तरह के दृष्टिकोण का विकल्प होता है जो वैश्विक दर्शकों तक पहुंचता है।”
सुष्मिता सेन
उनका फिल्मी कॅरियर एक तरह से समाप्त हो गया था लेकिन ‘आर्या’ वेब सीरिज की अप्रत्याशित सफलता ने उनके कॅरियर को फिर से रौशन कर दिया है। सुष्मिता ने ‘आर्या’ के जरिये स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म में पहली बार कदम रखा है। ‘आर्या’ में पुरुष की बजाय महिला लीड रोल में है। घर-घर में उपलब्ध इस माध्यम (ओटीटी) ने उन पर धन की बरसात कर दी है। सुष्मिता की दूसरी पारी भी सनसनीखेज रही।
कीर्ति कुलहरि
बॉलीवुड और हिंदी सिनेमा को अभी तक यह समझ नहीं आ रहा था कि उनका क्या करें और उनका क्या स्थान है। ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज’ और ‘क्रिमनल जस्टिस 2’ के बाद यह खूबसूरत अभिनेत्री ओटीटी प्लेटफॉर्म पर महत्वपूर्ण तरीके से उभर कर आई हैं। रोचक है कि कीर्ति को बड़े पर्दे पर अवसरों की कमी ने कभी बाध्य महसूस नहीं होने दिया। भविष्य में देखते हुए उन्हें मालूम था कि एक दिन यह बड़ा पर्दा देश में हर घर में होगा। ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज’ के विपरीत कीर्ति ने ‘क्रिमिनल जस्टिस 2’ में ऐसी महिला का किरदार निभाया है जो टूटने के कगार पर है। इस वर्ष के अंत में आई मनोरंजक ‘क्रिमिनल जस्टिस 2’ में कीर्तिका किरदार एक प्राणहीन उत्कंठा की गठरी की तरह है। कीर्तिको धोखा और छल की बहुतगहरी समझ है। और वह इन्हीं दो मायूसियों को अपने अभिनयमें बहुतही जोरदार तरीके से दर्शाती हैं।
मीता वशिष्ठ
‘योर ऑनर’ जबरदस्तवेब सीरिज है। यह दृष्टिगतरूप से भ्रष्टन हो सकने वाले जज के बारे में है जो उस वक्तअपनी पूरी साख दांवपर लगा देता है जब उसका बेटा एक गुनाह करता है। इसमें मीता वशिष्ठएक चतुर पुलिसवाले की भूमिका में हैं जो उनके किरदार को और अधिक निखारता है। वशिष्ठइसमें जिस पुलिसकर्मी(किरण सेखों) की भूमिका निभा रही हैं, उसका किरदार सतर्कता और घमंड का जोरदार मिश्रण है। (इस किरदार में पाई जाने वाली किरण बेदी की छवि कोई इत्तफाक नहीं है।) वह जब भी दोषी जज को देखती थीं तो उनकी आंखों में झलकने वाले तिरस्कार से मैं अपनी आंखें नहीं हटा पाता था। जब भी जिमी शेरगिल और मीता वशिष्ठके किरदार स्क्रीन पर एक साथहोते हैं तो आपको बस उनकी बातचीतकी दिशा को देखना होता है। जिस मोहकता से वे शब्दों का प्रयोग करते हैं, वह इस चूहे-बिल्लीके खेल को न केवल और अधिक ऊर्जावान तथा दिलचस्पबनाने के साथ-साथइसे ताकत, विशेषाधिकार और उनके दुरुपयोग की एक बहुतही दिलचस्पकहानी बना देता है। कुल मिलाकर बहुतही जबरदस्तअभिनय है।